चांदनी फीकी पड़ जाये,चमक तारा री छिप जाए,मेरे कृष्ण चंद्र के तेज सामने,सूरज शर्माए,चाँदनी फीकी पड़ जाए।। नील गगन सो रूप,कृष्ण को घुँघर वाला बाल,मोहन मूरत ह्रदय में बस गई,कटे घोर जंजाल,काल फिर पास नहीं आए,मेरे कृष्ण चंद्र के तेज सामने,सूरज शर्माए,चाँदनी फीकी पड़ जाए।। पीली पीताम्बर केसरी खटका,होठ रसीला लाल,मुक्त हो गए सूद बुद खो गए,ब्रज के गोपी ग्वाल,के …
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