आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जीवित पुत्रिका के रूप में मनाते हैं| इस व्रत को करने से पुत्र शोक नहीं होता| इस व्रत का स्त्री समाज में बहुत ही महत्व है| इस व्रत में सूर्य नारायण की पूजा की जाती है| विधि: स्वयं स्नान करके भगवान सूर्य नारायण की प्रतिमा को स्नान करायें| धूप, दीप आदि से …
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