तेईसवें तीर्थंकर पार्श्वनाथ काशी नरेश राजा विश्वसेन के पुत्र थे। पिता ने सोलह वर्ष की आयु में ही उन्हें सत्ता सौंप दी थी, लेकिन कुछ ही वर्षों में सांसारिक सुखों से उन्हें विरक्ति होने लगी। एक दिन उन्होंने अपने पिताश्री से कहा, ‘मैंने काफी समय तक राजा के रूप में सांसारिक सुख-सुविधाओं का उपभोग किया है, फिर भी सुख के …
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