तेरे लाला ने ब्रज रजखाई, यशोदा सुन माई….. अद्भुत खेल सखन संग खेलो,छोटो सो माटी को ढेलो।तुरत श्याम ने मुख मे मेलो,याने गटक गटक गटकाई।। यशोदा… दहि को कबहूँ न नाटी,क्यों लाला तैंने खाई माटी।।यशोदा ले समझा रही सांटी,या। नेक दया न आई।।यशोदा… मोहन को मुखड़ो खुलवायो,तीन लोक या में दरशायो।तब विश्वास यशोदहि आयो,ये तो पूरण ब्रह्म कन्हाई।। यशोदा…. ऐसो …
Read More »