‘भक्तमाल’ पढ़ते हुए न जाने कब नींद आ गई पता ही नहीं चला। भागवत प्रेम में ही कई महात्मा हर दम मग्न रहते थे। इस तरह की लग्न और भक्ति बड़े ही तप से प्राप्त होती है। क्या मुझसे वैसा तप नहीं हो पाएगा? जीवन में भक्ति से बड़ा क्या कोई सुख है? आभूषणों और धन-दौलत से जो प्रेम हो …
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