नारायण जिनके हृदय में सो कछु करम करे न करे रे .. नाव मिली जिनको जल अंदर बाहु से नीर तरे न तरे रे . पारस मणि जिनके घर माहीं सो धन संचि धरे न धरे . सूरज को परकाश भयो जब दीपक जोत जरे न जरे रे .. ब्रह्मानंद जाहि घट अंतर काशी में जाये मरे न मरे रे …
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