माया मरी ना मन मरा, मर मर गया शरीर । आशा तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर ॥ माया हैं दो भान्त की, देखो हो कर बजाई । एक मिलावे राम सों, एक नरक लेई जाए ॥ मन चंचल चल राम शरण में । हे राम हे राम हे राम हे राम ॥ राम ही तेरा जीवन साथी, मित्र …
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मेरे दुख के दीनो मेी वो बड़े काम आते है, जब कोई नही आता मेरे श्याम आते है,
मेरे दुख के दीनो मेी वो बड़े काम आते है, जब कोई नही आता मेरे श्याम आते है, मेरे दुख के दीनो मेी वो बड़े काम आते है, जब कोई नही आता मेरे श्याम आते है, मेरी नैया चलती है, पतवार नही होती, किसी और की अब मुझको दरकार नही होती, मेरी नैया चलती है, पतवार नही होती, किसी और …
Read More »इंसान बन गए, इंसानियत कब सीखेंगे
इंसान बन गए, इंसानियत कब सीखेंगे
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