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Tag Archives: प्रेम जगत में सार

प्रेम जगत में सार

बिना मथले न निकली रतन हीरा

कहा घनश्याम, उधौ से वृन्दावन जरा जाना,वहाँ की गोपियों को ज्ञान, का कुछ तत्व समझाना,विरह की वेदना में वे सदा बेचैन रहती हैं,तड़पकर आँह भर कर और, रो रोकर ये कहती हैं,प्रेम जगत में सार और कुछ सार नहीं है,कहा घनश्याम, उधौ से वृन्दावन जरा जाना,वहाँ की गोपियों को ज्ञान, का कुछ तत्व समझाना। कहा उधौ ने हँसकर, अभी जाता …

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हर दम हरि के प्रेम में

Madhu Kathabh Ki Katha

नाच नाच कर सारे जग में, नाच रहे जग के मानवनाचे सभी देव अरु  देवी ,अरु नाचे असुर  दानवनाचे सभी देव हितकारी, नाची रास में राधा प्यारीहरि संग प्रीत लगा कर नाची,प्रेम दिवानी मीरा बाई हर दम हरी के प्रेम में इंसान नाचते हैं ,भक्तों के बस में होके भगवान नाचते हैं, नाचे थे भोले दानी डमरू बजा बजा कर,नाची …

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