बहुत ढूंढा तुम्हे कान्हा कहा तुम छिप गये जानेगोकुल ढूंढा ब्रिज ढूंढा कहा तुम छिप गये जाने, कही तो वो डगर होगी या से तुम गुजर ते थेतेरी मुरली की तानो में मयु राधे थिरक ते थे,वाहा की धुलो को माथे पे अपने यु सजा लू मैंबहुत ढूंढा तुम्हे कान्हा कहा तुम छिप गये जाने तुम्हे हरगिज न भूलेगे तुम्हे …
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