मुझे याद नहीं कि बचपन में कभी सिर्फ इस वजह से स्कूल में देर तक रुकी रही होऊं कि बाहर बारिश हो रही है ना। भीगते हुए ही घर पहुंच जाती थी
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बेटिया क्यों परायी हैं
मुझे अपनी माँ से गिला, मिला ये ही सिला बेटिया क्यों परायी हैं, मेरी माँ खेली कूदी मैं जिस आँगन में, वो भी अपना पराया सा लागे । ऐसा दस्तूर क्यों है माँ, जोर किसका चला इसके आगे । एक को घर दिया, एक को वार दिया, तेरी कैसी खुदाई है ॥ मुझे माँ से गिला… जो भी माँगा मैंने …
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