सितारा भी कभी इतनी गर्दिश में पड़ गया था कि उन्हें अपना गुजारा चलाने के वास्ते दोयम दर्जे की फ़िल्मों में छोटी-छोटी भूमिकाएं करने को मजबूर होना पड़ा था।अलीगढ़ में 1920 में जन्मे भारत भूषण गायक बनने का ख्वाब लिए बम्बई की फ़िल्म नगरी में पहुंचे थे, लेकिन जब इस क्षेत्र में उन्हें मौका नहीं मिला तो उन्होंने निर्माता-निर्देशक केदार …
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वक़्त आख़िर इसे ही तो कहते है
वक़्त कब किसका पलट जाए कोई नहीं जानता..वक़्त फ़िल्म का एक डायलाॅग है…..फिल्मी दुनिया में ये कारनामे अक्सर होते रहते हैं इनमें एक क़िस्सा एक घर का भी है जो अपने आप में इतिहास है भारत भूषण मेरठ से आया एक नौजवान जब बैजू बावरा में तू गंगा की मौज मैं जमुना की धार गीत अपने लहलारते बालों से गाता …
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