फूल पर हँसकर अटक तो, शूल को रोकर झटक मत, ओ पथिक ! तुझ पर यहाँ अधिकार सबका है बराबर ! बाग़ है ये, हर तरह की वायु का इसमें गमन है, एक मलयज की वधू तो एक आँधी की बहन है, यह नहीं मुमकिन कि मधुऋतु देख तू पतझर न देखे, कीमती कितनी कि चादर हो पड़ी सब पर …
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सहजता और सरलता
उसके बॉस तो हैरान थे कि जिस प्रवाह से वो हिन्दी बोल रही थी कि यह लड़की यहाँ की जन्मी है ?उस महिला के जाने के बाद उन्होंने पूछा कि उसने कहाँ से सीखी तो मेरी बिटिया ने बताया कि मेरी माँ ने सिखाई है ।
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