मटकी न फोड़ो सांवरियां मोहे माई मारेगी, यमुना तट से नीर भरन को दूर से चल के आई,कैसे टूट गई रे मटकीपूछे गी मेरी माई,रसता छोड़ दे ओ सांवरियां ना कर यु तू अटखेली,मटकी न फोड़ो सांवरियां मोहे माई मारेगी, श्याम सलोने मान ले केहना दूर बहुत है जाना,इस में कोई माखन न है जो तुझको है खाना,पानी यमुना जी …
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