एक संत बड़े तपस्वी और बहुत संयमी थे। लोग उनके धैर्य की प्रशंसा करते थे। एक दिन उनके मन में विचार आया कि उन्होंने खान-पान पर तो संयम कर लिया, लेकिन दूध पीना उन्हें बहुत प्रिय था। उसे त्याग करने के बारे में मन बनाया। इस तरह संत ने दूध पीना छोड़ दिया। सभी लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने …
Read More »Tag Archives: मन
मन चंचल चल राम शरण में
माया मरी ना मन मरा, मर मर गया शरीर । आशा तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर ॥ माया हैं दो भान्त की, देखो हो कर बजाई । एक मिलावे राम सों, एक नरक लेई जाए ॥ मन चंचल चल राम शरण में । हे राम हे राम हे राम हे राम ॥ राम ही तेरा जीवन साथी, मित्र …
Read More »ॐ जय गंगे माता
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता । जो नर तुमको ध्याता, मन वांशित फल पाता ॥ ॐ जय गंगे माता… चन्द्र सी ज्योत तुम्हारी, जल निर्मल आता । शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता ॥ ॐ जय गंगे माता… पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता । कृपा दृष्टि हो तुम्हारी, त्रिभुवन सुखदाता ॥ ॐ …
Read More »तेरे मानमे राम
तेरे मन मे राम, तन्मे राम, रोम रोममे राम रे राम सुमिरले ध्यान लेगले, चोरह जगातके काम रे बोलो राम, बोलो राम, बोलो राम राम राम जे2 ||1|| माया मे तू उलझा उलझा, धार धार धूल उरहाए अब केरता क्यू मान भारी जब माया साथ चुरहाए दिन तो बीता दौरह धूप मे, ढाल जाए ना शाम रे ||2|| टंके भीतर …
Read More »