हुन्न ता चहेती आजा मेरी जान ते बणी ए शेर पे चडके, पवन रूप हो, अपनी झलक दिखाजा मेरी जान ते बनी ए… हासे खुशिया नु यह खा गई, बुरी निगाह इस जग दी गमां दे बदल सर ते झूलदे, कहर दी नहरी वाग दी क्यों माँ तैनू तरस ना आवे समझ न मेरे लग्दी मेरी जान ते बनी ए… …
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चार आने का हिसाब
बहुत समय पहले की बात है , चंदनपुर का राजा बड़ा प्रतापी था , दूर-दूर तक उसकी समृद्धि की चर्चाएं होती थी, उसकेमहल में हर एक सुख-सुविधा की वस्तु उपलब्ध थी पर फिर भी अंदर से उसका मन अशांत रहता था। उसने कई ज्योतिषियों और पंडितों से इसका कारण जानना चाहा, बहुत से विद्वानो से मिला, किसी ने कोई अंगूठी …
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