भावना की ज्योत को जगा के देख ले बोलती है मूर्ती,बुला के देख ले सौ बार चाहे आजमा के देख ले बोलती है मूर्ती,बुला के देख ले आओ माँ…आओ माँ… आओ माँ…आओ माँ… करोगे जो सवाल तो जवाब मिलेगा यहां पुण्य-पाप सबका हिसाब मिलेगा भले-बुरे सबको पहचानती है माँ खरी-खोटी सबकी ही जानती है माँ श्रद्धा से सर को झुका …
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