ओ मेरे कृष्ण कन्हिया रे तने कैसी लीला रचाई, मेहल बना दिए कुटिया म्हारीचमकादी मेरी नगरी सारी तने मेरी पकड़ी बहिया रेतने कैसी लीला रचाईओ मेरे कृष्ण कन्हिया रे तने कैसी लीला रचाई, मैं सु इक ब्रामण सा भिखारी क्यों मेरे पे दोलत भारीफिराया किस्मत का पहियाँ रे तने कैसी लीला रचाईओ मेरे कृष्ण कन्हिया रे तने कैसी लीला रचाई, …
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