अकेली गई थी ब्रिज में कोई नही था मेरे मन मेंमोर पंख वाला मिल गया….. नींद चुराई बंसी बजा के चैन चुराया सैन चुरा केलगी आस मेरे मन में गई थी मैं वृंदावन में बांसुरी वाला मिल गयामोर पंख वाला मिल गया….. उसी ने बुलाया उसी ने रुलाया ऐसा सलोना श्याम मेरे मन भायातेरी बांकी चाल देखी तेरा मुकट भी …
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