एक दिन दही मथकर माखन निकाल रहीं थीं। अचानक मां को आनन्द देने के लिए बलराम और श्याम उनके निकट पहुंच गए। कन्हैया ने मां की चोटी पकड़ ली और बलराम ने मोतियों की माला- दोनों मां को अपनी तरफ खींचने का प्रयास करने लगे। बलराम कहते थे, मां तुम पहले मेरी सुनों! और कन्हैया कहते थे कि नहीं, मां …
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चांद- खिलौना
एक दिन की बात है। यशोदा मैया गोपिओं के साथ कान्हा की बाल-सुलभ लीलाओं की चर्चा कर रही थीं। खेलते-खेलते अचानक कन्हैया की दृष्टि चन्द्रमा पर पड़ी। उन्होंने पीछे से आकर यशोदा मैया का घूंघट उतार लिया। अपने कोमल करों से उनकी चोटी पकड़ कर खींचने लगे और बार-बार पीठ थपथपाने लगे। श्रीकृष्ण बोले मां! मैं लूंगा। जब मैया के …
Read More »कन्हैया की दृष्टि चन्द्रमा पर पड़ी
एक दिन की बात है। यशोदा मैया गोपिओं के साथ कान्हा की बाल-सुलभ लीलाओं की चर्चा कर रही थीं। खेलते-खेलते अचानक कन्हैया की दृष्टि चन्द्रमा पर पड़ी। उन्होंने पीछे से आकर यशोदा मैया का घूंघट उतार लिया। अपने कोमल करों से उनकी चोटी पकड़ कर खींचने लगे और बार-बार पीठ थपथपाने लगे। श्रीकृष्ण बोले मां! मैं लूंगा। जब मैया के …
Read More »जुल्मी कनउडो यशोदा टेयरो जुलाम करे
जुल्मी कनउडो यशोदा टेयरो जुलाम करे, जुल्मी कनउडो, जुल्मी कनउडो यशोदा टेयरो जुलम करे, जुल्मी कनउडो, दिखान मेी यशोदा काँहो, सिधो सिधो लागे आए, तो चाल अजब टेढ़ी छाले, दिखान मेी यशोदा काँहो, सिधो सिधो लागे आए, तो चाल अजब टेढ़ी छाले, जुल्मी कनउडो यशोदा टेयरो जुलाम करे, जुल्मी कनउडो, प्रेम को पाठ पढ़तो म्हाने डोले आए, तो बात कारया …
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