राजा का अनुशासनप्रेमी और खिलाड़ी स्वरूप, बहुत संजीवनी नृत्य राजा को कैसे बदल देता है। यह दिलचस्प कहानी जीवन के रंग-बिरंगे पहलुओं को छूने का एक अनूठा पैथ प्रस्तुत करती है, जो राजा और उसकी प्रजा को साथ मिलकर सिखा देती है कि जीवन में खुशियों के लिए स्वतंत्रता और मनोरंजन का महत्व है।
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राजा प्रसेनजित की पुत्री रेणुका
परशुराम राजा प्रसेनजित की पुत्री रेणुका और भृगुवंशीय जमदग्नि के पुत्र, विष्णु के अवतार और शिव के परम भक्त थे। इन्हें शिव से विशेष परशु प्राप्त हुआ था। इनका नाम तो राम था, किन्तु शंकर द्वारा प्रदत्त अमोघ परशु को सदैव धारण किये रहने के कारण ये परशुराम कहलाते थे।विष्णु के दस अवतारों में से छठा अवतार, जो वामन एवं …
Read More »चुनैतियों पर काबू पाने की सीख देती प्रेरणादायक कहानी
बादल अरबी नस्ल का एक शानदार घोड़ा था। वह अभी 1 साल का ही था और रोज अपने पिता – “राजा” के साथ ट्रैक पर जाता था। राजा घोड़ों की बाधा दौड़ का चैंपियन था और कई सालों से वह अपने मालिक को सर्वश्रेष्ठ घुड़सवार का खिताब दिला रहा था. बादल भी राजा की तरह बनना चाहता था…लेकिन इतनी ऊँची-ऊँची और …
Read More »लालची राजा
एक राजा था मिदास। उसके पास साने की कमी नहीं थी, लेकिन सोना जितना बढ़ता, वह और अधिक सोना चाहता। उसने सोने को खज़ाने में जमाकर लिया था, और हर रोज़ उसे गिना करता था। एक दिन जब वह सोना गिन रहा था, तो एक अजनबी कहीं से आया और बोला, ‘तुम मुझसे ऐसा कोई भी वरदान मांग सकते हो, …
Read More »राजा रावण अपनी मूछ थोड़ी नीची कर के रे
राम शरण में ले चालूं मेरी पूछ पकड़ ले रे, राजा रावण अपनी मूछ थोड़ी नीची कर के रे । राजा हो कर चोरी सीखी, इज्जत करदी ख़ाक, भूल गयो के तेरी बहन की लक्षमण काटी नाक । थोड़ा दिन की बात है रावण खूब अकड़ ले रे राजा रावण अपनी मूछ थोड़ी नीची कर के रे ॥ सीता माता …
Read More »आम का पेड़
कुंतालपुर का राजा बड़ा ही न्याय प्रिय था| वह अपनी प्रजा के दुख-दर्द में बराबर काम आता था| प्रजा भी उसका बहुत आदर करती थी| एक दिन राजा गुप्त वेष में अपने राज्य में घूमने निकला तब रास्ते में देखता है कि एक वृद्ध एक छोटा सा पौधा रोप रहा है| राजा कौतूहलवश उसके पास गया और बोला, ‘‘यह आप किस चीज का …
Read More »राजा और महात्मा
चंदनपुर का राजा बड़ा दानी और प्रतापी था , उसके राज्य में सब खुशहाल थे पर राजा एक बात को लेकर बहुत चिंतित रहा करता था कि धर्म व दर्शन पर लोगोँ के विचारोँ मेँ सहमति क्योँ नहीँ बनती। एक बार राजा ने विभिन्न धर्मोँ के उपदेशकोँ को आमंत्रित किया और एक विशाल कक्ष में सभी का एक साथ रहने …
Read More »बधैया बाजे
बधैया बाजे, आंगने में बधैया बाजे .. राम, लखन, शत्रुघन, भरतजी, झूलें कंचन पालने में . बधैया बाजे, आंगने में बधैया बाजे .. राजा दसरथ रतन लुटावै, लाजे ना कोउ माँगने में . बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे .. प्रेम मुदित मन तीनों रानी, सगुन मनावैं मन ही मन में . बधैया बाजे आंगने में बधैया बाजे .. राम …
Read More »मूर्ख राजा और चतुर मंत्री
एक समय की बात है दियत्स नाम की नगरी एक नदी किनारे बसी हुई थी। वहां का राजा बहुत ही मूर्ख और सनकी था। एक दिन राजा अपने मंत्री के साथ संध्या के समय नदी के किनारे टहल रहा था। तभी उसने मंत्री से पूछा, “मंत्री बताओ यह नदी किस दिशा की ओर और कहाँ बहकर जाती है?” “महाराज, यह …
Read More »10 दिन की मोहलत
एक राजा था ।उसने 10 खूंखार जंगली कुत्ते पाल रखे थे ।जिनका इस्तेमाल वह लोगों को उनके द्वारा की गयी गलतियों पर मौत की सजा देने के लिए करता था । एक बार कुछ ऐसा हुआ कि राजा के एक पुराने मंत्री से कोई गलती हो गयी। अतः क्रोधित होकर राजा ने उसे शिकारी कुत्तों के सम्मुख फिकवाने का आदेश …
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