बन्धुगणो ! मिलि कहो प्रेमसे ‘यदुपति ब्रजपति श्यामा-श्याम ।’ मुदित चित्तसे घोष करो पुनि- ‘पतित पावन राधेश्याम ॥’ जिह्वा-जीवन सफल करो कह- ‘जय यदुनन्दन, जय घनश्याम ।’ ह्रदय खोल बोलो, मत चूको- ‘रुक्मिणिवल्लभ श्याम श्याम ॥’ नव-नीरद-तनु, गौर मनोहर, ‘जय श्रीमाधव जय बलराम।’ उभय सखा मोहनके प्यारे -‘जय श्रीदामा, जयति सुदाम ॥’ परमभक्त निष्कामशिरोमणि- ‘उद्धव-अर्जुन शोभाधाम।’ प्रेम-भक्ति-रस-लीन निरन्तर विदुर, ‘विदुर-गृहिणी …
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