दड़बे की मुर्गी !💐 एक शिष्य अपने गुरु के पास पहुंचा और बोला, ” लोगों को खुश रहने के लिए क्या चाहिए?” “तुम्हे क्या लगता है?”, गुरु ने शिष्य से खुद इसका उत्तर देने के लिए कहा. शिष्य एक क्षण के लिए सोचने लगा और बोला, “मुझे लगता है कि अगर किसी की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी हो रही हों… खाना-पीना …
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बाहरी वेश-भूषा से व्यक्ति की सही पहचान नहीं हो सकती
एक नौजवान शिष्य अपने गुरु के पास पहुंचा और बोला , ” गुरु जी एक बात समझ नहीं आती , आप इतने साधारण वस्त्र क्यों पहनते हैं …इन्हे देख कर लगता ही नहीं कि आप एक ज्ञानी व्यक्ति हैं जो सैकड़ों शिष्यों को शिक्षित करने का महान कार्य करता है . गुरु जी मुस्कुराये . फिर उन्होंने अपनी ऊँगली से …
Read More »गुरु के प्रति सच्ची दक्षिणा यही है
प्राचीनकाल के एक गुरु अपने आश्रम को लेकर बहुत चिंतित थे। गुरु वृद्ध हो चले थे और अब शेष जीवन हिमालय में ही बिताना चाहते थे, लेकिन उन्हें यह चिंता सताए जा रही थी कि मेरी जगह कौन योग्य उत्तराधिकारी हो, जो आश्रम को ठीक तरह से संचालित कर सके। उस आश्रम में दो योग्य शिष्य थे और दोनों ही …
Read More »भगवान की चाहत
एक साधु नदी के पास ध्यान कर रहे थे, तभी एक युवा व्यक्ति ने उन्हें टोकते हुए पूछा, “गुरूजी, मैं आपका शिष्य बनना चाहता हूँ।” साधु ने कहा, “क्यों?” युवा व्यक्ति ने एक पल के लिए सोचा और फिर कहा, “क्यों कि मैं भगवान को पाना चाहता हूँ|” गुरु बाहर की ओर आए, उन्होंने उस व्यक्ति की गर्दन को पकड़ा, …
Read More »भैंस की मौत!
एक दार्शनिक अपने एक शिष्य के साथ कहीं से गुजर रहा था। चलते-चलते वे एक खेत के पास पहुंचे। खेत अच्छी जगह स्थित था लेकिन उसकी हालत देखकर लगता था मानो उसका मालिक उस पर जरा भी ध्यान नहीं देता है। खैर, दोनों को प्यास लगी थी सो वे खेत के बीचो-बीच बने एक टूटे-फूटे घर के सामने पहुंचे और …
Read More »आखिरी सन्देश
ऋषिकेश के एक प्रसिद्द महात्मा बहुत वृद्ध हो चले थे और उनका अंत निकट था . एक दिन उन्होंने सभी शिष्यों को बुलाया और कहा , ” प्रिय शिष्यों मेरा शरीर जीर्ण हो चुका है और अब मेरी आत्मा बार -बार मुझे इसे त्यागने को कह रही है , और मैंने निश्चय किया है कि आज के दिन जब सूर्य …
Read More »अच्छे व्यवहार का रहस्य
हम साधारण मनुष्य अक्सर किसी से नाराज़ हो जाते हैं या किसी को भला-बुरा कह देते हैं, पर संतो का स्वाभाव इसके विपरीत हमेशा सौम्य व् मधुर बना रहता है। संत तुकाराम का स्वभाव भी कुछ ऐसा ही था, वे न कभी किसी पर क्रोध करते और न किसी को भला-बुरा कहते। आइये इस कहानी के माध्यम से जानते हैं …
Read More »डाकू अंगुलिमाल और महात्मा बुद्ध
बहुत पुरानी बात है मगध राज्य में एक सोनापुर नाम का गाँव था। उस गाँव के लोग शाम होते ही अपने घरों में आ जाते थे। और सुबह होने से पहले कोई कोई भी घर के बाहर कदम भी नहीं रखता था।इसका कारण डाकू अंगुलीमाल था। डाकू अंगुलीमाल मगध के जंगलों की गुफा में रहता था। वह लोगों को लूटता …
Read More »भैंस की मौत
दार्शनिक अपने एक शिष्य के साथ कहीं से गुजर रहा था। चलते-चलते वे एक खेत के पास पहुंचे। खेत अच्छी जगह स्थित था लेकिन उसकी हालत देखकर लगता था मानो उसका मालिक उस पर जरा भी ध्यान नहीं देता है। खैर, दोनों को प्यास लगी थी सो वे खेत के बीचो-बीच बने एक टूटे-फूटे घर के सामने पहुंचे और दरवाज़ा …
Read More »अछूत व्यक्ति
एक दिन गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ एकदम शांत बैठे हुए थे। उन्हें इस प्रकार बैठे हुए देख उनके शिष्य चिंतित हुए कि कहीं वे अस्वस्थ तो नहीं हैं। एक शिष्य ने उनसे पूछा कि आज वह मौन क्यों बैठे हैं। क्या शिष्यों से कोई गलती हो गई है ? इसी बीच एक अन्य शिष्य ने पूछा कि क्या …
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