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Tag Archives: श्राप भी वरदान बन जाता है जब मन ऐसा हो : स्वामी दिव्य सागर

वरदान भी, श्राप भी

प्रकृति और मानव मन-मस्तिष्क में अनूठी क्षमता होती है। यदि मनुष्य बुद्धि विवेक से काम ले, उचित-अनुचित का विचारकर प्रकृति का उपयोग करे, तो वह सदैव वरदान के रूप में कल्याणकारी होती है। सद्गुण-दुर्गुण प्रत्येक व्यक्ति की अंतःचेतना में विद्यमान रहते हैं। मिट्टी में उर्वरा शक्ति होती है। उसमें जैसा बीज बोया जाता है, वैसा ही फल उगता है। ईश्वर …

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