तीनो लोको के स्वामी सुधबुद्ध खोकर दौड़े चले जा रहे थे, पीछे पीछे रुक्मिणी, जाम्बवती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा, सत्या, लक्ष्मणा और भद्रा भी पागल सी दौड़ रही है, ये कौन आ गया जिसके लिए प्रभु श्री कृष्ण दौड़ रहे है | मंत्री, सेनापति, द्वारपाल सब जड़ होकर खड़े है, ऊपर ब्रह्मा जी , कैलाशपति, बृहस्पति, देवराज इंद्र, सूर्य, चन्द्र, यम,शनि …
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सेवा से भौतिक लाभ
सत्यराम यदि कोई व्यक्ति भक्ति सेवा से भौतिक लाभ चाहता है, तो कृष्ण ऐसी भौतिकवादी इच्छाओं की निंदा करते हैं। भक्ति सेवा में संलग्न रहते हुए भौतिक ऐश्वर्य की इच्छा करना मूर्खता है। यद्यपि व्यक्ति मूर्ख हो सकता है, कृष्ण, सर्व-बुद्धिमान होने के नाते, उसे अपनी भक्ति सेवा में इस तरह संलग्न करते हैं कि वह धीरे-धीरे भौतिक ऐश्वर्य को …
श्री कृष्ण और पूतना वध की कहानी!!
कंस का अंत नजदीक आ चुका था। उसे इस बात का पता चल चुका था कि उसकी मृत्यु उसके ही भांजे कृष्ण के हाथों होने वाली है। फिर क्या था, बाल गोपाल को मारने के लिए कंस कई तरह के हथकंडे अपनाने लगा। वह कृष्ण को मारने के लिए शक्तिशाली दानवों को भेजता, लेकिन नटखट कन्हैया की बाल लीला के …
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भगवान श्री कृष्ण और बलराम ने चाणूर, मुष्टिक, कूट, शल और तोशल—इन पाँचों पहलवानो को मारा। इसके बाद जो बचे वो जान बचाकर भाग गए। उनके भाग जाने पर भगवान श्रीकृष्ण और बलरामजी अपने दोस्त ग्वाल-बालों को खींच-खींचकर उनके साथ भिड़ने और नाच-नाचकर भेरीध्वनि के साथ अपने नूपुरों की झनकार को मिलाकर मल्लक्रीडा—कुश्ती के खेल करने लगे। भगवान श्रीकृष्ण और …
Read More »भगवान श्री कृष्ण और उनका परिवार
भगवान श्री कृष्ण और उनका परिवार
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