शबरी को आश्रम सौंपकर महर्षि मतंग जब देवलोक जाने लगे, तब शबरी भी साथ जाने की जिद करने लगी।शबरी की उम्र दस वर्ष थी। वो महर्षि मतंग का हाथ पकड़ रोने लगी।महर्षि शबरी को रोते देख व्याकुल हो उठे। शबरी को समझाया “पुत्री इस आश्रम में भगवान आएंगे, तुम यहीं प्रतीक्षा करो।”अबोध शबरी इतना अवश्य जानती थी कि गुरु का …
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