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Tag Archives: समुद्रतल

पैर उतने ही पसारो जितनी चादर की लम्बाई हो

Kachue or khargosh Ki khani

एक कछुआ यह सोचकर बड़ा दुखी रहता था कि पक्षीगण बड़ी आसानी से आकाश में उड़ा करते हैं , परन्तु मैं नही उड़ पाता । वह मन ही मन यह सोचविचार कर इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि यदि कोई मुझे एक बार भी आकाश में पहुँचा दे तो फिर मैं भी पक्षियो की तरह ही उड़ते हुये विचरण किया करूँ …

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