हाथो से अपने घर को संवारा,गंगा के जल से आंगन बुहाराचोकठ में लगाई बंधन वारलुन राई मिल के इक बार करो रेभाव से भजनों से मनोहार करो रे….. भगतो के संगत में उत्सव मनायाप्रेमी जनों को हम ने भुलायारेह न जाए कोई कसर मंगल घडी में मंगला चार करो रेभाव से भजनों से मनोहार करो रे….. अच्छे कर्म कुछ है …
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