18वीं बार फिर राजा भोज सिंहासन पर बैठने के लिए आगे बढ़ें। उन्होंने सोचा कि इस बार चाहे कुछ भी हो जाए, वो सिंहासन पर बैठकर ही रहेंगे। तभी सिंहासन से 18वीं पुतली तारामती बाहर निकली और राजा भोज को रोकते हुए बोली, “सिंहासन पर बैठने से पहले राजा विक्रमादित्य का यह किस्सा सुनिए।” उसके बाद पुतली तारामती ने कहानी …
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