सुख के सब साधी, दुःख में न कोई ,मेरे राम, मेरे राम ॥तेरा नाम इक सांचा, दूजा न कोई , जीवन आनी-जानी छाया ॥झूठी माया झूठी काया ,फिर काहे को सारी उमरिया ॥पाप की गठरी ढोए , ना कुछ तेरा जा कुछ मेरा ॥ये जय-जोगी-वाला फेरा ,राजा हो या रंक सभी का ॥अंत एक सा होए , बाहर की तू …
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चार आने का हिसाब
बहुत समय पहले की बात है , चंदनपुर का राजा बड़ा प्रतापी था , दूर-दूर तक उसकी समृद्धि की चर्चाएं होती थी, उसकेएक दिन भेष बदल कर राजा अपने राज्य की सैर पर निकला। घूमते- घूमते वह एक खेत के निकट से गुजरा , तभी उसकी नज़र एक किसान पर पड़ी , किसान ने फटे-पुराने वस्त्र धारण कर रखे थे …
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