दोहा दोलत से धनवान गणा और मन से नहीधनवान,मनको धणी यो सावरो मे किस बिध करु बखान,सेठाँ मे सावरो सेठ रे बाकी सब डुप्लीकेट, सेठ बणयो ऐक नरशी मोटो भक्तों नेवो समझों छोटोएक समय जद पडियो टोटौ आयो सावलसैठ सैठाँ मे सावरो , बीरों बण नानी घर आयो छपन करोडँ को भात भरायो र्दौपदी को चीर बढायो जीकी दुनिया माही …
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