हो अगर रहमत जो तेरी साँवरे,जख्म दिल का हर कोई भर जाएगा,दूर सब कोई नही है पास में,यूँ अकेले दम मेरा घुट जाएगा मैं आया था ज़माने में,तेरे सुमिरन का वादा था,जा बैठा स्वार्थ की महफ़िल,पाप अभिमान ज्यादा था,भूलकर के श्याम तेरी बंदगी,चैन मेरे दिल को कैसे आएगा,हो अगर रहमत जो तेरी सांवरे,जख्म दिल का हर कोई भर जाएगा बड़ी …
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