पिता के लाख समझाने पर भी रंजन समझने को तैयार नहीं था ।’ बेटा! प्रद्युम्न ईमानदार है ,वह तुम्हारा पाई -पाई चूका देगा। मैं उसे बचपन से जानता हूं।’लड़की की शादी के बाद हाथ तंग हो हीं जाता है। इतना तैश में आकर चाचा का इज्ज़त लेना ठीक नहीं है। आखिरकार वह तुम्हारा अपना चाचा है। कोई ग़ैर नहीं। शालू …
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