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Tag Archives: aasakti

चाणक्य नीति : छठवां अध्याय (Chanakya Niti eighth chapter)

Chanakya Niti eighth chapter

श्रवण करने से धर्मं का ज्ञान होता है, द्वेष दूर होता है, ज्ञान की प्राप्ति होती है और माया की आसक्ति से मुक्ति होती है. पक्षीयों में कौवा नीच है. पशुओ में कुत्ता नीच है. जो तपस्वी पाप करता है वो घिनौना है. लेकिन जो दूसरो की निंदा करता है वह सबसे बड़ा चांडाल है. राख से घिसने पर पीतल …

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कर्मयोग

Agar shyam ksunder ka shera na hota

जन्म – जन्मांतर में किये हुए शुभाशुभ कर्मों के संस्कारों से यह जीव बंधा है तथा इस मनुष्य शरीर में पुन: अहंता, ममता, आसक्ति और कामना से नए – नए कर्म करके और अधिक जकड़ा जाता है । अत: यहां इस जीवात्मा को बार – बार नाना प्रकार की योनियों में जन्म – मृत्युरूप संसारचक्र में घुमाने के हेतुभूत जन्म …

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सत् – असत् का ज्ञान

saeen kee nagariya jaana hai re bande

सत् – असत् का विवेक मनुष्य अगर अपने शरीर पर करता है तो वह साधक होता है और संसार पर करता है तो विद्वान होता है । अपने को अलग रखते हुए संसार में सत् – असत् का विवेक करने वाला मनुष्य वाचक (सीखा हुआ) ज्ञानी तो बन जाता है, पर उसको अनुभव नहीं हो सकता । परंतु अपनी देह …

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