तात, यदि तुम जन्म मरण के चक्र से मुक्त होना चाहते हो तो जिन विषयो के पीछे तुम इन्द्रियों की संतुष्टि के लिए भागते फिरते हो उन्हें ऐसे त्याग दो जैसे तुम विष को त्याग देते हो. इन सब को छोड़कर हे तात तितिक्षा, ईमानदारी का आचरण, दया, शुचिता और सत्य इसका अमृत पियो. वो कमीने लोग जो दूसरो की …
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क्यों पीवे तू पानी हंसिनी
क्यों पीवे तू पानी हंसिनी,क्यों पीवे तू पानी, सागर खीर भरा घट भीतर, पीयो सूरत तानी हंसिनी, क्यों पीवे तू पानी । जग को जार धसो नभ अंदर, मंदर परख निशानी हंसिनी, क्यों पीवे तू पानी । गुर मूरत तू धार हिये में, मन के संग क्यों फिरत निमाणी हंसिनी, क्यों पीवे तू पानी । तेरा काज करे गुर पूरे, …
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