अपने दर से दूर किया है क्या तुम्हे अब प्यार नही,मुझपर हाथ जो नही तेरा क्या ये मेरी हार नहीअपने दर से दूर किया है क्या तुम्हे अब प्यार नही……. तेरी चोकठ की हर सीधी आंसू जल से धोती हैमंदिर के छोटे प्रांगन में सारी दुनिया संयोई हैमेहकी जो सांसो की बगियाँ अब वो रही गुलजार नहीअपने दर से दूर …
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