बंसी वाले को हम याद आने लगे,कान्हा मंदिर में आंसू बहाने लगे| अब ना कीर्तन में नर्तन कहीं हो रहा,अब ना भक्तों का दर्शन कहीं हो रहा,कितना सुनसान मंदिर पड़ा देख कर,कान्हा अश्क़ों में भी मुस्कुराने लगे,बंसी वाले को …………….. अब ना याचक कोई ना दया पात्र है,पूजा को कुछ पुजारी ही बस मात्र हैं,अपना जीवन बचने में सब लग …
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