सुन राजा अब त्याग दे झूठा मान घुमानदो दिन के सब ठाठ है दो दिन की ये शानभजले हरी हरी सुन राजा भजले हरी हरी दाम बिना निर्धन दुखी तृष्णा वश धन वानकहू न सुख संसार में सब जग देखा चानभजले हरी हरी सुन राजा भजले हरी हरी सर्व नाश के मूल है ये सब भोग विलास खारे पानी से …
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