ढून्डता है तू किसका सहारा ढून्डता है तू किसका सहारा कभी टन में कभी मान में उलझा तू सदा अपने दामन में उलझा सबसे जीटा तू अपने से हारा ढून्डता है तू किसका सहारा तू ही सागर है तू ही किनारा ढून्डता है तू किसका सहारा पाप क्या पुण्या क्या तू भुला दे कर्म कर फल की चिंता मिटा दे …
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सतगुरु तुम्हारे प्यार ने
जीना सीखा दिया हमको टुमरे प्यार ने इंसान बना दिया रहते है जलवे आपके नज़रो मे हर घड़ी मस्ती का जाम आपने ऐसा पीला दिया भुला हुआ था रास्ता भात्का हुआ तर मई किस्मत ने मुजको आपके काबिल बना दिया जिस दिनसे मुजको आपने अपना बना लिया दोनो जहाँ को दस ने सबसे भुला दिया जिनसे किसी को आज तले …
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