ब्रज गोपिन तोरी लेऊँ बलैया,बड़भागी सब रास सुख पावत,क्रीड़त संग जाके कृष्ण कन्हैया,ब्रज गोपिन तोरी———- जाय कोऊ घर थाट बजावत,कोऊ घर जाय चरावत गईया,ब्रज गोपिन तोरी———- करत कोऊ घर माखन चोरी,पकड़त जाय छुड़ावत मईया,ब्रज गोपिन तोरी———– बलिहारी हरि पुनि पुनि जाऊँ,मोरे मुरलीधर जग सृष्टि रचैया,ब्रज गोपिन तोरी……….. सारे ब्रज में मच गया शोर,आयो आयो जी माखन चोर,पकड़ो री पकड़ो कान्हा …
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