तेरा हाथ जिसने पकड़ा, वो रहा ना बेसहारा । दरिया में डूब कर भी उसे मिल गया किनारा ॥ आनंद पा लिया है साईं के दर पे आ के, अब क्या करेंगे फिर से दुनिया के पास जा के । समझाया जिन्दगी ने बड़े काम का इशारा ॥ साईं से जो मिला है, कहीं और क्या मिलेगा, यह ऐसा सिलसिला …
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अच्छाई से क्यूँ बाज़ आऊं ? (why hawk from goodness)
एक बार हजरत बायेजीद बुस्तामी अपने कुछ दोस्तों के साथ दरिया के किनारे बेठे थे, उनकी नज़र एक बिच्छू पर पड़ी जो पानी में डूब रहा था. हजरत ने उसे डूबने से बचाने के लिए पकड़ा तो उसने डंक मार दिया. कुछ देर बाद वो दोबारा पानी में जा गिरा , इस बार फिर हज़रत उसे बचने के लिए आगे …
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