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Tag Archives: Darshan do ghanshyam

दर्शन दो घनश्याम

दास तुम्हारा तरस रहा है,दर्शन दो अब शाम,तुम सब जानते हाल मेरा,दर्शन दो घनश्याम,दास तुम्हारा तरस रहा। जब जब चांदन ग्यारस आती,यादें तुम्हारी दिल तड़पाती,तेरे दर्शन की चाहत में,सेवक तड़पे दिन और रातीबाँट निहारु मैं तो तेरी,लीले के असवार…… रिश्ता ये जोड़ा जन्मो का तुमसे,फिर इतना क्यों बिसराते हो,भूल हुई क्या ओ खाटूवाले,दर्शन को क्यों तरसाते हो,अर्ज़ी मेरी सुनलो अब …

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