ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियां | किलकि किलकि उठत धाय, गिरत भूमि लटपटाय | धाय मात गोद लेत, दशरथ की रनियां || अंचल रज अंग झारि, विविध भांति सो दुलारि | तन मन धन वारि वारि, कहत मृदु बचनियां || विद्रुम से अरुण अधर, बोलत मुख मधुर मधुर | सुभग नासिका में चारु, लटकत लटकनियां || तुलसीदास अति आनंद, देख …
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लोकनायक श्रीकृष्ण
कहा जाता है कि जिसे किसी का आसरा नहीं उसे महादेव के यहां आश्रय मिलता है । अंधे, पंगु, अपंग और पागल ही नहीं बल्कि भूत – प्रेत, विषधर सर्प वगैरह भी महदेव के पास आश्रय पा सकते हैं । विष्णु की कीर्ति इस रूप में नहीं गायी गयी, फिर भी वह दीनानाथ हैं । श्रीकृष्णावतार तो दीन दुखी और …
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