गणपति गोरी जी के नंदन गणेश जी, मैं शरण तुम्हारी आया हूँ , मेरी रक्षा करो हमेश जी । सबसे पहले तुम्हे धयाऊँ , फिर देवों के दर्शन पाऊं । गज बदन मूसे की सवारी, गजब तुम्हारा भेस जी ॥ तुम हो रिद्धि-सिद्धि के दाता, तुम बिन ज्ञान कोई न पाता । हे गजानन विश्व विधाता, मन में करो प्रवेश …
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शिवाराधना से दैत्यगुरु शुक्राचार्य को संजीवनी विद्या की प्राप्ति
एक बार दैत्यों के आचार्य शुक्र को अपने शिष्यों दानवों का पराभव देखकर बहुत दुख हुआ और उन्होंने तपस्यों बल से देवों को हराने की प्रतिज्ञा की तथा वे अर्बुद पर्वत पर तपस्या करने चले गए। वहां उन्होंने भूमि के भीतर एक सुरंग में प्रवेश कर ‘शुक्रेश्वर’ नामक शिव लिंग की स्थापना की और प्रतिदिन श्रद्धाभक्तिपूर्वक षोडशोपचार से भगवान …
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