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Tag Archives: Do not worry about the fruits of action

नहीं मालूम तो बता दें ‘आलू’, ‘अंडे’ और ‘कॉफी’ में भी होती है समझ

एक बार एक बेटी ने अपने पिता से कहा, ‘ यह समय कितना कठिन है। मैं अब भीतर ही भीतर टूट गई हूं। जब तक हम एक मुसीबत से दो-चार होते हैं, तब तक नई मुसीबतें खड़ी हो जाती हैं। ऐसा कब तक चलेगा?’ उस लड़की के पिता हलवाई थे। वह बिना कुछ कहे उन्होंने सामने रखे चूल्हे पर तीन …

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