रामायण मे एक घास के तिनके का भी रहस्य है, और रामायण के अंदर इस टाइप के बहुत से रहस्य छिपे हैं जो हर किसी को नहीं मालूम क्योंकि आज तक किसी ने हमारे ग्रंथो को समझने की कोशिश नहीं की,सिर्फ हमने पढ़ा है देखा है और सुना है,आज मैं आप के समक्ष ऐसा ही एक रहस्य बताने जा रहा …
Read More »Tag Archives: Everyone
जानिए महात्मा गांधी की नजर में धर्म का अर्थ
एक बार महामना मदनमोहन मालवीय, महात्मा गांधी व कुछ अन्य लोग धर्म पर चर्चा कर रहे थे। चर्चा के दौरान मालवीय जी ने गांधीजी से पूछा, ‘बापू आपकी दृष्टि में धर्म क्या है?’ तब गांधीजी बोले, मेरी दृष्टि से धर्म का अर्थ कर्तव्य है। समाज के हर व्यक्ति का अलग धर्म है। सैनिक का धर्म अपने राष्ट्र व समाज की …
Read More »ऐसा क्या था बुद्ध के पैर में, एक ज्योतिषी रह गया दंग
आषाढ़ माह की गर्म दोपहर थी। भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ भ्रमण पर जा रहे थे। उस रास्ते में कहीं पेड़ भी नहीं थे। चारों तरफ बिखरी थी तो बस रेत ही रेत। रेत पर चलने के कारण तथागत् के पैरों के निशान बनते जा रहे थे। ये निशान सुंदर थे। तभी अचानक शिष्यों को दूर एक पेड़ दिखाई …
Read More »नम्र बनो कठोर नहीं
एक चीनी संत थे। वह बहुत वृद्ध थे। उन्होंने देखा कि अंत समय निकट आ गया है, तो अपने सभी भक्तों और शिष्यों को अपने पास बुलाया। वह सभी से बोले, थोड़ा मेरे मुंह के अंदर तो देखो भाई? मेरे कितने दांत शेष हैं। प्रत्येक शिष्य ने मुंह के भीतर देखा और प्रत्येक ने कहा कि दांत तो कई वर्षों …
Read More »शर्म नहीं आए तब तक सीखते रहिए
यूनानी दार्शनिक अफलातून के पास हर दिन कई विद्वानों का जमावड़ा लगा रहता था। सभी उनसे कुछ न कुछ ज्ञान प्राप्त करके जाया करते थे। लेकिन स्वयं अफलातून खुद को कभी भी ज्ञानी नहीं मानते थे। एक दिन उनके एक मित्र ने कहा, आपके पास दुनिया के बड़े-बड़े विद्वान कुछ न कुछ सीखने और जानने आते हैं और आपसे बातें …
Read More »ऐसे बनाएं जिंदगी को ओर बेहतर
सदानंद स्वामी श्रद्धानंद के शिष्य थे। उन्होंने काफी मेहनत से ज्ञान प्राप्त किया था। लेकिन उन्हें अपने ज्ञान पर अहंकार हो गया। यह उनके व्यवहार में भी दिखाई देने लगा। वह हर किसी को नीचा दिखाने की कोशिश करते। यहां तक कि वह अपने साथ शिक्षा ग्रहण कर रहे अपने मित्रों से भी दूरी बनाकर रहने लगे। यह बात स्वामी …
Read More »जब गौतम बुद्ध ने बताया, कौन है सबसे सुखी
एक बार भगवान बुद्ध पाटलिपुत्र में प्रवचन कर रहे थे। लोग मंत्रमुग्ध थे। प्रवचन के पहले बुद्ध ध्यानवस्था में बैठे हुए थे। तभी स्वामी आनंद ने जिज्ञासा पूर्वक पूछा, ‘तथागत आपके सामने बैठे लोगों में सबसे ज्यादा सुखी कौन?’ तथागत बोले, सबसे पीछे जो सीधा-साधा सा फटेहाल ग्रामीण आंखे बंद किए बैठा है, वह सबसे ज्यादा सुखी है। यह सुनकर …
Read More »सही कहते हैं कि सत्य बोलने वाले के पास हिम्मत होती है
स्वामी विवेकानंद एक दिन कक्षा में मित्रों को कहानी सुना रहे थे। सभी इतने खोए हुए थे कि उन्हें पता ही नहीं चला कि कब मास्टरजी कक्षा में आए और पढ़ाना शुरू कर दिया। मास्टरजी को कुछ आवाज सुनाई दी। कौन बात कर रहा है? सभी ने स्वामी जी और उनके साथ बैठे छात्रों की तरफ इशारा कर दिया। मास्टरजी …
Read More »