किसको पता है कब ये हंसाबंद पिंजरे को छोड़ेहरी हरी रट मनवा रेदिन रहे गए थोड़े ……… तू माटी का एक खिलौनाटूट के आखिर माटी होनाफिर क्यों बोझा पाप का धोनाभजन से मैले मन को धोना जनम मरण बंधन को तो बसएक भजन ही तोड़ेहरी हरी रात मनवा रेदिन रहे गए थोड़े ……… दो दिन जग में खावो दानाफिर ये …
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