हे गोविन्द हे गोपाल, हे गोविन्द हे गोपालहे दया निधानप्राणनाथ अनाथ सखे दीन दर्द निवारहे गोविन्द हे गोपाल… हे समरथ अगम्य पूर्णमोह माया धारहे गोविन्द हे गोपाल… अंध कूप महा भयानकनानक पार उतारहे गोविन्द हे गोपाल….,,,, ओ मेरे कृष्ण कन्हिया रे तने कैसी लीला रचाई, मेहल बना दिए कुटिया म्हारीचमकादी मेरी नगरी सारी तने मेरी पकड़ी बहिया रेतने कैसी लीला …
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