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सावन के पवित्र महीनें में जानिए शिवजी के पवित्र धामों के बारें में

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महाकालेश्वर मंदिर देश के प्रमुख बारह ज्योतिर्लिगों में से एक है। यह मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है। ज्योतिर्लिग की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी स्थापना अपने आप हुई है। इस स्थल पर जो भी श्रद्धा और विश्वास के साथ अपनी मनोकामना लेकर आता है, उसकी मनोकामनाएं निश्चित रूप से पूरी …

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सावन के पवित्र महीनें में जानिए शिवजी के पवित्र धामों के बारें में

baidhnathamndirdham

श्री वैद्यनाथ शिवलिंग समस्त ज्योतिर्लिंगों में नौवें स्थान पर है। यह झारखंड के देवघर जिले में स्थित है। देवघर शब्द का अर्थ है – ऐसा स्थान जहां देवी-देवता निवास करते हों। इसलिए इसे देवघर या बाबा धाम भी कहा जाता है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि किसी भी द्वादश ज्योतिर्लिंग से अलग यहां के मंदिर के …

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सावन के पवित्र महीनें में जानिए शिवजी के पवित्र धामों के बारें में

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भगवान शिव का ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। इस स्थान पर नर्मदा के दो धाराओं में विभक्त हो जाने से बीच में एक टापू सा बन गया है। इस टापू को मांधाता पर्वत या शिवपुरी कहते हैं। नदी की एक धारा इस पर्वत के उत्तर और दूसरी दक्षिण होकर बहती है। दक्षिण वाली …

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क्या आप जानते है की दाएं हाथ में ही क्यों लें प्रसाद?

BLASED FOOD

हिन्दू धर्म व संस्कृति में भगवान को भोग लगाकर प्रसाद बांटना पूजा का एक जरूरी अंग माना जाता है। अक्सर लोग प्रसाद ग्रहण करते समय कुछ जरूरी बातों का ध्यान नहीं देते है। ऐसी मान्यता है कि उल्टे हाथ में प्रसाद लेना शुभ नहीं माना जाता है। प्रसाद लेते समय हमेशा सीधे हाथ ऊपर रखना चाहिए और उसके नीचे उल्टा …

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आखिर क्यों लगाया जाता है भगवान को 56 भोग

भगवान को अर्पित किए जाने वाले छप्पन भोग के पीछे कई रोचक कथाएं हैं। हिन्‍दू मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्‍ण एक दिन में आठ बार भोजन करते थे। जब इंद्र के प्रकोप से सारे व्रज को बचाने के लिए भगवान श्री कृष्‍ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था, तब लगातार सात दिन तक भगवान ने अन्न जल ग्रहण नहीं किया। …

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निरंतर आगे की ओर बढ़ते रहेंगे। (keep moving forward)

nirantar aage kee or badhate rahenge.

हिन्दू धर्म में दीपक को अग्नि देव का स्वरूप माना गया है। अग्नि देव की उपस्थिति से नकारात्मक उर्जा एवं बुरी शक्तियां दूर रहती हैं। आत्मा प्रकाशित होती है और सात्विक गुणों में वृ‌द्धि होती है। उपनिषद् में लिखा है कि तमसो मा ज्योतिर्गमय इसका अर्थ है अंधेरे से प्रकाश की ओर चलो। प्रकाश नूतनता और नवीनता का सूचक है। …

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