पाण्डव अपनी मां कुंती के साथ इधर से उधर भ्रमण कर रहे थे| वे ब्राह्मणों का वेश धारण किए हुए थे| भिक्षा मांगकर खाते थे और रात में वृक्ष के नीचे सो जाया करते थे| भाग्य और समय की यह कैसी अद्भुत लीला है| जो पांडव हस्तिनापुर राज्य के भागीदार हैं और जो सारे जगत को अपनी मुट्ठी में करने …
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