हरी बोल हरी बोल हरी बोल हरी बोल,सारे जग को पालनहारी,सारी धरती को रखना तारी,हो, तेरी लीला अपरमपारीहरी बोल, हरी बोल हरी बोल, हरी बोल…… बैकुंठ धामी तोहे जगह सुहाई,शेषनाग सेज शैया बिछाई,लक्ष्मी सहित झाँकी, दरश कराई,प्रेम की जोत,सारे जग में जग में जलाई,अठारों प्राण करायो तूने ज्ञान,चारों वेद करायो रसपान,हरी बोल, हरी बोल हरी बोल, हरी बोल……… गदा के …
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